बिहार 2025 की ताज़ा खबरें पढ़ें – नई विकास परियोजनाएँ, बुनियादी ढाँचे में सुधार, राजनीतिक हलचल और सामाजिक चुनौतियाँ। जानें बिहार की ताज़ा अपडेट्स और ब्रेकिंग न्यूज़।
विकास की झलक: उजाले और प्रगति
1. नाइट-टाइम लाइट्स से मिल रही आर्थिक वृद्धि की तस्वीर
बिहार सरकार और Asian Development Research Institute (ADRI) की एक स्टडी में देखा गया है कि रात्रि में उपग्रह द्वारा दिखाई देने वाले उजाले (Night-Time Light / NTL) में 2017-2023 के बीच बड़ा इजाफा हुआ है। पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, गया और बेगूसराय जिलों में यह वृद्धि सबसे तेज रही। वहीं अरवल, जहानाबाद, जमुई, बांका और मधुबनी जैसे जिलों ने “उभरते जिलों” की श्रेणी में जगह बनाई है।
2. 1300 शहरी विकास परियोजनाएँ 33 जिलों में
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शहरी विकास को बढ़ावा देने के लिए ₹769 करोड़ से अधिक की लागत की 1300 परियोजनाओं की आधारशिला रखी है। इन परियोजनाओं में सड़कों का निर्माण और मरम्मत, नाली (drainage) सुधार, पार्कों का नवीकरण, और हाई-मास्ट लाइट्स का स्थापन शामिल है। पटना के मौर्य लोक कॉम्प्लेक्स का ₹15 करोड़ का नवीनीकरण भी इस योजना का हिस्सा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शहरी विकास को बढ़ावा देने के लिए ₹769 करोड़ से अधिक की लागत की 1300 परियोजनाओं की आधारशिला रखी है। इन परियोजनाओं में सड़कों का निर्माण और मरम्मत, नाली (drainage) सुधार, पार्कों का नवीकरण, और हाई-मास्ट लाइट्स का स्थापन शामिल है। पटना के मौर्य लोक कॉम्प्लेक्स का ₹15 करोड़ का नवीनीकरण भी इस योजना का हिस्सा है।
3. प्रधानमंत्री की घोषणाएँ: Seemanchal क्षेत्र को विकास की सौगात
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वी बिहार के Purnea जिले में लगभग ₹40,000 करोड़ की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन तथा शिलान्यास किया है। इनमे रेल, हवाई सेवाएँ, बिजली एवं जल संसाधन शामिल हैं। साथ ही मखाना किसानों के लिए एक नया बोर्ड स्थापित करने की योजना भी घोषित की गई है।4. प्र基础भूत संरचना में निवेश: पटना में बड़े प्रोजेक्ट्स
पटना के आसपास क्षेत्रों में सड़कें चौड़ी की जा रही हैं। उदाहरण के लिए Didarganj-Fatuha-Bakhtiyarpur-Karjan रोड को चार लेन में विकसित करने की योजना है (लगभग ₹1,065 करोड़)। इसके अलावा मोहम्मदपुर-बरह क्षेत्र में इलेक्ट्रिक चिताएं, गांवों को जोड़ने वाले पुल आदि बने जा रहे हैं।समाजिक और न्याय से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे
1. बाल पुनर्वास का संकट: जूनियर होम्स की कमी
पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार से पूछा है कि राज्य के कई जिलों में Observation Homes और Special Care Homes (जहाँ नाबालिगों को न्यायिक प्रक्रिया से पहले सुरक्षा और देखभाल मिलती है) क्यों नहीं बनाये गए हैं। लगभग 17 जिलों में ये संस्थाएँ या तो अधूरी हैं या पूरी तरह से कार्यरत नहीं हैं।
पाकितीय तस्करी रोकने की कवायद
2. शराब, हथियार और अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी रोकने के लिए बिहार ने सीमावर्ती जिलों में 393 चेक पोस्ट स्थापित करने की योजना बनाई है। इसके अलावा संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में 176 “मिरर चेक पोस्ट” (neighboring राज्यों के साथ मिलकर) बनाए जाएँगे।
3. राजनीतिक परिदृश्य: चुनावी समीकरण बदलते हुए
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियाँ तेज हैं। महागठबंधन और भारतीय जनता पार्टी सहित विभिन्न दलों द्वारा रैलियों, यात्रा कार्यक्रमों और घोषणाओं के ज़रिये जनसमर्थन जुटाया जा रहा है। सीमांचल न्याय यात्रा जैसे कार्यक्रमों में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी सक्रिय हैं।
चुनौतियाँ और आगे की राह
1. विकास की असमानता: कुछ जिलों में आर्थिक वृद्धि और इनफ्रास्ट्रक्चर में तेजी है, लेकिन पीछे वाले जिलों में अभी भी आधारभूत सुविधाओं की कमी है।
2. न्यायिक और सामाजिक संरचनाएँ: Observation Homes किन्तु पूरी तरह से नहीं बने हैं; बाल संरक्षण के मामलों में देरी हो रही है।
3. पर्याप्त निगरानी और निष्पादन: योजनाएँ तो घोषित हो रही हैं पर समयबद्धता, गुणवत्ता सुनिश्चित करना ज़रूरी है।
निष्कर्ष
बिहार में वर्तमान समय में विकास की लकीर स्पष्ट दिख रही है — चाहे वह आर्थिक विकास हो, गांव-शहर के बीच का अंतर कम होना हो, या अवसंरचना की सुधार। सरकार की कई परियोजनाएँ जनता के जीवन को सुधारने की दिशा में हैं। लेकिन यह ज़रूरी है कि ये परियोजनाएँ समय पर पूरी हों, सब जिलों तक पहुँचें, और लोकतांत्रिक एवं न्यायपूर्ण तरीके से लागू हों।

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