🗳️ बिहार चुनाव 2025 की हलचल तेज़
बिहार में चुनावी माहौल अब पूरे जोश पर है। अक्टूबर 2025 का महीना राज्य की राजनीति के लिए बेहद अहम साबित हो रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब नामांकन वापसी की आख़िरी तारीख 23 अक्टूबर है।
कुल 20 जिलों की 122 सीटों पर इस चरण में मतदान होगा, जहाँ प्रमुख राजनीतिक दल जैसे जेडीयू, आरजेडी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चाएँ हैं कि इस बार युवा और पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं की भूमिका बहुत अहम रहेगी।
जेपी नड्डा, नरेंद्र मोदी और अमित शाह की रैलियाँ अगले कुछ दिनों में बिहार के अलग-अलग ज़िलों में होंगी। वहीं तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार भी अपने-अपने गढ़ में जनता को लुभाने में जुटे हैं।
राज्य की जनता इस बार किन मुद्दों पर वोट करेगी — यह सबसे बड़ा सवाल है।
रोज़गार, शिक्षा, बिजली, सड़क और भ्रष्टाचार अब भी प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं।
🐶 बिहार में अजीबोगरीब निवास प्रमाण पत्र का मामला
पुर्णिया जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है जिसने प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यहाँ किसी व्यक्ति ने “डॉग कुमार” नाम से निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था, और पिता का नाम लिखा गया था “कुत्ता कुमार”।
और हैरानी की बात तो यह है कि यह प्रमाण पत्र ऑनलाइन सिस्टम से जारी भी कर दिया गया!
इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।
यह घटना यह दर्शाती है कि डिजिटल व्यवस्था के बावजूद सिस्टम में कई खामियाँ अब भी मौजूद हैं।
सरकार का कहना है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है और लोग प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं।
💰 अपराध और कार्रवाई – बिहार में ताबड़तोड़ छापेमारी
बिहार पुलिस की कार्रवाई तेज़ हो गई है।
शिवहर जिले में पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 62 लाख रुपये नकद जब्त किए हैं, जबकि कटिहार जिले में 4.98 लाख रुपये बरामद किए गए हैं।
वहीं बेगूसराय में एक युवक की हत्या ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है।
इन घटनाओं के बाद चुनाव से पहले आचार संहिता के उल्लंघन और पैसे के दुरुपयोग को लेकर पुलिस सतर्क हो गई है।
गृह मंत्रालय ने भी बिहार में 1200 से अधिक अर्धसैनिक बलों की बटालियन तैनात करने का निर्णय लिया है, ताकि मतदान शांतिपूर्ण हो सके।
📉 बिहार का विकास और चुनौतियाँ
हाल ही में आई आर्थिक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार अब भी उन राज्यों में शामिल है जो विकास की दौड़ में पीछे रह गए हैं।
कभी “BIMARU” श्रेणी में रखा गया बिहार आज भी अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने की कोशिश कर रहा है।
मुख्य चुनौतियाँ:
1.औसत आय राष्ट्रीय औसत से बहुत नीचे है।
2.बेरोजगारी दर अब भी 12% से अधिक है।
3.शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भारी कमी है।
4.इंफ्रास्ट्रक्चर (सड़क, बिजली, इंटरनेट) में सुधार जारी है लेकिन ग्रामीण इलाकों तक पूरी तरह नहीं पहुँचा।
5.हालांकि, रिपोर्ट में कुछ सकारात्मक संकेत भी हैं —
राज्य की युवा आबादी (18–35 आयु वर्ग) तेजी से डिजिटल हो रही है।
6.स्टार्टअप्स और ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफ़ॉर्म्स में बिहार के युवाओं की भागीदारी बढ़ रही है।
7.सरकार भी “मुख्यमंत्री उद्यमी योजना” जैसी स्कीमों से युवाओं को प्रोत्साहित कर रही है।
🌾 कृषि क्षेत्र में नई उम्मीदें
कृषि अब भी बिहार की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
इस साल मानसून सामान्य रहा, जिससे धान और मक्का की फसलें बेहतर स्थिति में हैं।
सरकार ने किसानों के लिए फसल बीमा योजना और मंडी सुधार जैसे कदम उठाए हैं।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तकनीकी और सिंचाई की सुविधाएँ बेहतर हो जाएँ, तो बिहार अगले 5 वर्षों में पूर्वी भारत का कृषि हब बन सकता है।
🏥 स्वास्थ्य और शिक्षा पर नया फोकस
बिहार सरकार ने इस बार स्वास्थ्य विभाग को लेकर विशेष निर्देश दिए हैं।
राज्य में 75 नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 25 जिला अस्पतालों के उन्नयन का कार्य चल रहा है।
इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने घोषणा की है कि अगले वर्ष तक हर पंचायत में एक इंटर कॉलेज खोला जाएगा।
यह योजनाएँ अगर धरातल पर उतरती हैं, तो बिहार के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों में सुधार देखा जा सकता है।
🧭 राजनीतिक समीकरण और जनता की उम्मीदें
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस बार बिहार चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।
नीतीश कुमार का अनुभव बनाम तेजस्वी यादव का युवा जोश — यही मुकाबले की असली कहानी होगी।
जनता अब बदलाव चाहती है लेकिन स्थिरता भी चाहती है।
यदि सरकार आने वाले महीनों में शिक्षा, रोज़गार और विकास पर फोकस रखे, तो बिहार का भविष्य उज्जवल हो सकता है।
🕊️ निष्कर्ष
बिहार की आज की खबरें यह दर्शाती हैं कि राज्य राजनीतिक रूप से बहुत सक्रिय है और प्रशासनिक स्तर पर भी बदलाव की कोशिशें जारी हैं।
कहीं विकास की बातें हो रही हैं तो कहीं सिस्टम की खामियाँ सामने आ रही हैं।
जनता को उम्मीद है कि आने वाले चुनावों में जो भी सरकार बने, वह राज्य को “बदलते बिहार” की दिशा में आगे ले जाएगी।
2025 का यह साल बिहार के लिए निर्णायक साबित हो सकता है —
जहाँ जनता, राजनीति और विकास तीनों एक नई कहानी लिखने जा रहे हैं।

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